Atma Tatva हमारे अस्तित्व का एकमात्र सत्य' है, आत्मा - आदि शंकराचार्य भगवद गीता के दूसरे अध्याय के निम्नलिखित श्लोक के माध्यम से इसे समझते हैं, अर्थात यह आत्मा न कभी जन्मती है और न मरती है तथा यह उत्पन्न होकर फिर न उत्पन्न होनेवाली है। यह जन्मरहित, नित्य-निरन्तर, शाश्वत और पुराण (अनादि) है। शरीर के ...